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कोविड 19 या कोरोना का मानसिक स्वास्थ्य पर असर और बचाव
9 नवंबर 2020 को लान्सेट जर्नल्स में छपी एक रिसर्च के अनुसार कोविड 19 से बीमार होने के तीन महीनों के भीतर ही 62354 लोगों पर किये गए परिक्षण के अनुसार 20% लोगों में कुछ न कुछ मानसिक बीमारिया दिखाई दीं।
जैसे कि एंग्जायटी, डिप्रेशन और इन्सोमनिआ यानि की अत्यधिक चिंता, अवसाद और अनिंद्रा। इसके आलावा सामान टेस्ट उन लोगों पर भी किया गया जो इस बीमारी से ग्रसित नहीं हुए उनमे भी सामान ही लक्षण और समस्या दिखी। क्योंकि इस बीमारी के कारण लोगों में लॉक डाउन की वजह से अचानक अकेलेपन की भावना का विकास हुआ, इसके आलावा आर्थिक अनिश्चितता ने भी मानसिक अस्थिरता को बढ़ावा दिए। इसी कारण दोनों ही प्रकार के लोगों में सामान लक्षण मिले।
अचानक से हमारे दैनिक जीवन में आये बदलाव की वजह से हमारा मानसिक स्वास्थ्य पूरी तरह हिल गया। इतना बड़ा मानसिक दवाब और बदलाव का सामना लोगों ने इससे पहले स्पेनिश फ्लू की महामारी के दौरान देखा था जो सन 1918 से 1919 के दौरान फैली थी। वैज्ञानिक अभी भी कोविड 19 के हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले असर पर अध्ययन कर रहे है। पिछले लगभग एक साल के बाद जब जनवरी 2021 में एक सर्वे करवाया गया तो 41% लोगो में मानसिक अस्थिरता दिखाई दी।
कोविड 19 या कोरोना के बाद हमारा दुनिया को देखने का नजरिया बहुत तेज़ी से बदला है। हम लोगों के अंदर अनिश्चित्ता और असाहय होने की भावना को इस बीमारी ने बहुत बढ़ा दिया है। अब जबकि इसकी दूसरी लहर भारत में बहुत तेज़ी से फ़ैल रही है तो एक बार फिर हम कमज़ोर पड़ सकते है। जून 2020 में The Hindu अख़बार में आदित्य आनंद द्वारा पब्लिश एक लेख के अनुसार पिछले साल इस महामारी के दो महीनो के भीतर ही BMC की 24x 7 हेल्पलाइन जो मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित सलाह देती है। उस पर लगभग 45000 फ़ोन कॉल्स आये जिनमे से 52% फ़ोन एंग्जायटी से सम्बंधित,11% अवसाद के 5% अनिंद्रा के और मात्र 4% पुरानी मानसिक समस्याओं के लिये आये। ये इस बात का प्रमाण है की किस तरह बीमारी और अचानक आये लॉक डाउन ने हम लोगों की मानसिक स्तिथि को प्रभावित किया है। ये सभी कॉल्स पूरे भारत से आये थे।
अब जबकि हम एक बार फिर से कोविड की चपेट में आ गए है, तो इन हालातों का सामना दोबारा करने के लिए खुद को तैयार करना होगा। सबसे ज़्यादा समस्या का सामना उनको करना पड़ता है जिनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। अचानक से उनको इस बीमारी की वजह से खुद को दूसरों से घर में या अस्पताल में अलग करना पड़ता है। बीमारी का दवाब, शारीरिक कमज़ोरी और अनिश्चित भविष्य आपके मन मस्तिष्क पर अचानक से दवाब बढ़ा देता है। ऐसे ही जो व्यक्ति बीमारी से सुरक्षित रहते है लेकिन उन पर भी लगातार खुद को बचाये रखने और परिवार की ज़िम्मेदारी और भविष्य की चिंता मानसिक बोझ को बढ़ा देता है।
मानसिक तनाव से बचने के उपाय
कोविड की वजह से बढ़ने वाले मानसिक तनाव और बोझ से बचने के लिए बीमार और ठीक दोनों ही व्यक्ति सामान परेशानियों का सामना करते है। सबसे पहले हम बात करेंगे कोरोना से पीड़ित व्यक्ति को कैसे अपना मानसिक संतुलन बनाये रखना होगा। जैसे ही आपको इस बात का पता चले की आप बीमार हो चुके है तो अपने इलाज की प्रक्रिया प्रारम्भ करे और खुद में इस बात को दोहराते रहे की आप इससे ठीक हो जाओगे। खुद को कमज़ोर न पड़ने दे। खुद को दूसरों से शारीरिक रूप से दूर करे लेकिन मानसिक रूप से अपने परिवार और मित्रों से जुड़े रहे। कोरोना से बचे हुए लोगों को भी खुद को मज़बूत चाहिए शारीरिक दोनों तरह से। लोगों से किसी न किसी माध्यम से जुड़े रहे ताकि आपको अकेलेपन की वजह से अवसाद न हो। यदि आप बीमार है और ज़्यादा शारीरिक कष्ट नहीं है तो हो सके तो वर्क फ्रॉम होम के माध्यम से अपने कार्य स्थल से भी जुड़े रहे ताकि अकेलापन कम लगे। मेडिटेशन,योग, बुक रीडिंग और तकनीकी ज्ञान प्राप्ति को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाये। समय से खाने और सोने का प्रयास करे। जहाँ तक हो सके मोबाइल से दूर रहे। दोस्तों सबसे पहले तो हम सबको एक बात अपने आप में ध्यान रखना होगी की कोई भी महामारी रातों रात ख़तम नहीं हो जाती उसमे समय लगता है। हमको उसके अनुसार अपनी जीवनशैली को अपनाना होता है। घर के सदस्यों और अपने बीच संवाद को लगातार बनाये रखे ताकि आप अपने मन की बात उनके साथ साझा कर सकें और कुंठा का शिकार न हो। इन्ही सब छोटी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखके हम सब काफी हद तक अपने मानसिक स्वास्थ्य को बचा सकते है।