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कोविड और भारतीय माध्यम वर्ग
कोरोना की वजह से पूरे विश्व में ही माध्यम वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हुआ है। क्योंकि भारत की आबादी का एक बड़ा हिस्सा इसी वर्ग से आता है इसलिए भारत में में भी यह वर्ग अछूता नहीं रहा । इस वर्ग के लोगों के आर्थिक,सामाजिक और घरेलु जीवन पर इस महामारी ने बहुत कुठाराघात किया ।
अब जबकि एक बहुत बड़ी दूसरी लहर का सामना हम भारत में कर रहे है। यह समझना बहुत ज़रूरी हो जाता है, कि इस लहर के गुजरने के पश्चात् माध्यम वर्ग में क्या बदलाव देखने को मिलेंगे।
बिज़नेस स्टैंडर्ड में 19 मार्च 2021 को लिखे एक लेख के अनुसार पिछले एक साल में भारत में माध्यम वर्ग की लगभव 3 करोड़ 20 लाख की आबादी इस महामारी की वजह से प्रभावित हुई है। अनुमान है, कि यह संख्या दूसरी लहर के बाद और अधिक बढ़ जाएगी।
इसी रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में 1990 की आर्थिक मंदी के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में माध्यम वर्ग इतना कमज़ोर हुआ है। भारत में उच्च मध्यम वर्ग के बहुत सारे लोग जिनकी दैनिक कमाई 10 से 20 डॉलर के बीच हुआ करती थी। जो कोरोना महामारी की पहली लहर और लॉक डाउन की वजह से पहले ही आधी हो चुकी है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय मध्यम वर्ग को दूसरी लहर के बाद आय में और भी गिरावट का सामना करना होगा।
जिसकी वजह से भारत में गरीबी में जीने वालों की संख्या बढ़कर चीन के प्रमुख बड़े शहरों से ज़्यादा हो सकती है। भारत में कोरोना की दूसरी लहर से भारतीय उधोग क्षेत्र में अमेरिका और ब्राज़ील से भी ज़्यादा गिरावट आने के संकेत वर्ल्ड बैंक द्वारा दिए गए है।
द पीयू सेण्टर के अनुसार आने वाले समय में लोगों की कमाई का स्तर भारत में 2 डॉलर से भी नीचे आ सकता है। जिसकी वजह से गरीबी रेखा के आंकड़ों में बहुत बड़ा परिवर्तन देखने को मिलेगा।
पिछले 10 वर्षों के भीतर भारतीय माध्यम वर्ग के लोगों की जीवन शैली में बहुत बड़ा बदलाव ये आया था की वो अब अधिक विलासितापूर्ण जीवन जीने की ओर बढ़ चले थे। बढ़ती हुई नई नौकरियों और व्यापर के नए क्षेत्रों के उदय की वजह से लोगों की आमदनी में अत्यधिक उछाल आया। इसके अलावा आसान फाइनैंस स्कीम्स की वजह से महँगी वस्तुए खरीदना युवा वर्ग के लिए आसान हो गया था।
परन्तु अचानक से आयी इस महामारी के लिए भारत में कोई भी इससे निपटने के लिए तैयार नहीं था जिसकी वजह से बहुत सारे लोगों की आमदनी और नौकरियों में बहुत बड़ी संख्या में कमी आएगी। इसकी वजह से लोगों को ना चाहते हुए भी अपने खर्चों में कटौती करना होगा। अब लोग केवल अपनी अति आवश्यक ज़रूरतों खाने-पीने का सामान,दवाइयाँ, आवागमन के व्यक्तिगत साधनों पर ही खर्चा करने पर ज़ोर देंगे।
सामाजिक बदलाव
अब लोग इस बात को स्वीकार करेंगे की ये महामारी लम्बे समय तक रहेगी और हमको इससे बचकर ही रहना बेहतर होगा। इसलिए भारतीय माध्यम वर्ग जो ज़्यादा सामाजिक आयोजनों और क्रिया कलापों का हिस्सा हुआ करता था उसकी सोच में बहुत बड़ा बदलाव आएगा। जिसकी वजह से एक बहुत बड़ा वर्ग जो इन क्षेत्रों से जुड़े व्यापर और नौकरियों में भागीदार है उनमे बेरोज़गारी बढ़ जाएगी।
बीमारी के डर से लोगों में अब सार्वजानिक वाहनों से सफर करने में भी कमी आएगी। जिसकी वजह से लोग अब अपने निजी वाहन खरीदने पर ज़ोर देंगे जिसके कारण उनके ऊपर अधिक भार पड़ेगा। पब्लिक ट्रांसपोर्ट से जुड़े लोगों की कमाई भी घटेगी। आय में आने वाली कमी के कारण आने वाले समय में काफी लोग अपने दैनिक काम जैसे खाना बनाना, कपडे धोना, घर की साफ़ सफाई, प्रेस इत्यादि खुद से करेंगे। इस वजह से इन कामों से जुड़े लोगों की आमदनी भी प्रभावित होगी।
तकनीकी निर्भरता
भारतीय माध्यम वर्ग के व्यापारी भी अब आधुनिक पद्धतियों की ओर आकर्षित होंगे। अपने ग्राहकों या क्लाइंट्स के साथ जुड़ने के लिए अब वो व्यक्तिगत मुलाकात की बजाये ऑनलाइन मीटिंग्स की ओर आकर्षित होंगे। किराना और सब्ज़ी से जुड़े लोग तो अभी से ऑनलाइन आर्डर और होम डिलीवरी अपना चुके है।
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