योगमाया एक स्वधारित क्रिया के साथ स्वायन क्रिया भी है | योगमाया के द्वारा आप अपने सभी कर्मो के दुष्प्रभाव से मुक्त होते है | योग और माया दोनों व्यक्ति के जीवन में सदैव छटी रहती है | जिस प्रकार गुरुत्व ग्रष्द और कृपा के बिना व्यक्ति का जीवन अधूरा और विनर्म होता है | ठीक उसी प्रकार योगमाया के बिना भी मनुष्य अपने जीवन में | आनद और विकास को प्रकट नहीं कर सकता | योगमाया एक कर्मा आधारित क्रिया | जो आपके जीवन में आपके अच्छे और बुरे कर्मो के आधार पर आपको दंड और प्रेम प्रकट करती है | जैसे पृथ्वी सदैव घूमती रहती है | ठीक उसी प्रकार हमारे जीवन के ग्रह और गोचर भी चलायमान होते है | जिससे व्यक्ति दुनिया के किसी भी हिस्से मकई रहे | उसके प्रभाव और दुष्प्रभाव से बच नहीं सकता इन सभी तंत्र और मंत्र की शाखा से व्यक्ति अपने समस्याओ को सुलझाने का प्रयास करता है | लेकिन वो भूल जाते है की वास्तविक कष्ट और दुःख कही और से आ रहे है | इसलिए आचार्य श्री के प्रासंगिक सर पुरे विश्व को मिल रहा है | अतः हम सभी जीव इस कृपा को प्राप्त करे और अपने कर्मा आधारित जीवन अनादमय , सुखमय , धनमय बनाने की ओर पथ अग्रसर हो |