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Description

रेडियो प्लेबैक इंडिया द्वारा प्रस्तुत काव्य तरंग में हमारे इस महीने के ऑथर नीरज जी कहते हैं कि दुख जीवन का एक अनिवार्य अंग है फिर भी वे हमेशा मुस्कुराते रहने की पैरवी करते हैं।  मुस्कुराते हुए हर रास्ते को नापा, हर गतिरोधक को फाँदा जा सकता है। वे हम सबसे आग्रह करते हैं कि जीवन के उतार-चढ़ाव बूझते हुए आगे बढ़ते रहें। आइये, ज़िन्दगी या जीवन विषय पर उनकी बेहतरीन ग़ज़लें सुनते हैं आज के काव्य तरंग कार्यक्रम में। 

आवाज़ - निखिल आनंद गिरि // Voice - Nikhil Anand Giri

आलेख - विश्व दीपक // Script - Vishwa Deepak

ग़ज़ल - नीरज गोस्वामी // Poems - Neeraj Goswami

तकनीकी सहायता  - अमित तिवारी // Technical Support - Amit Tiwari

आर्ट वर्क - पूजा अनिल, अमित तिवारी// ArtWork - Pooja Anil, Amit Tiwari

Contact us: kaavyatarang.rpi@gmail.com