रविवार सुबह की कॉफी, कुछ लफ़्ज़ कुछ जज़्बात । आज पेश है रीतेश खरे की गज़ल स्वयं उन्हीं के स्वर में। काव्य तरंग रेडियो प्लेबैक इंडिया की प्रस्तुति