इस सत्संग में निखिल जी और नितिन जी ने आध्यात्मिक स्वास्थ्य ज्ञान को बहुत ही सुन्दर तरीके से समझाया। निखिल जी ने आगे अध्याय 2 - 4,5,6,7,8,9,10,11,12 व 13 के श्लोक समझाए। मूल रूप से हमने सीखा कि हम शरीर नहीं हैं, हम आत्मा हैं और आत्मा अमर है। मृत्यु के समय आत्मा जब शरीर छोड़ती है तो नए शरीर में प्रवेश करती है जैसे हम कपड़े बदलते हैं। कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन भ्रमित और उदास हो गया था इसलिए उसने खुद को भगवान श्री हरि के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। यह वही स्थिति है जो हमारे साथ होती है जब हम अपने जीवन में भ्रमित और उदास हो जाते हैं, हमें अर्जुन से सीखना चाहिए और खुद को भगवान को समर्पित करना चाहिए। आइए इस दिव्य सत्संग AUDIO को SUNE और आनंद को महसूस करें।
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