इस AUDIO में निखिल जी नितिन जी हमें आत्मा तत्व के बारे में बता रहे है,तो हमे सबसे ज्यादा ध्यान अपने आध्यात्मिक स्वास्थ्य पर देना है_🌻कल के सत्संग में हमने अध्याय 2 के श्लोक 13 में जाना था कि बचपन से लेके बूडापे तक हमारे शरीर में बदलाव आ रहे हैं,जो हमें दिखते नही पर हो रहे हैं,आज हमने श्लोक 14 से श्लोक 15 तक में जाना कि जैसे सर्दी के बाद गर्मी आती है ठीक वैसे ही सुख के बाद दुख भी आयेगा,समय के साथ सब चला जायेगा,सब क्षणिक है तो हमें विचलित न होते हुए सहन करने का प्रयत्न करना है🌻हमारे चाहने ना चाहने से कुछ नही होगा, आत्म ना मरती है ना इसे कोई मार सकता है,जो भी कष्ट आ रहे हैं बो शरीर को आ रहे हैं आत्मा में कोई परिवर्तन नहीं होता|🌻तो हमे ज्यादा अटैचमेंट नही बनानी और अपनी ड्यूटी पर फोकस करना है| हमे किसी के मरने पर ज्यादा शोक ना करते हुए उसकी आगे की यात्रा के लिए प्रभु से प्रेयर करनी है, शोक करने से आत्मा की आगे की यात्रा में बाधा आती है| 🌻 आत्मा ना जन्मी है, ना जन्म लेती है, ना जन्म लेगी और शरीर के नष्ट होने पर आत्मा का नाश नही होता,तो हमें शरीर से अपने काम करते हुए अंदर से हरिनाम करते रहना है__हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏 श्रीमद् भगवद गीता की जय🙏🙏 जय श्री कृष्णा 🙏🙏
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