इस ऑडियो में निखिल जी और नितिन जी ने पिछले एपिसोड से आत्मा के बारे में समझाते हुए बताया कि कैसे आत्मा प्रकृति के तीन प्राथमिक रूपों - अच्छाई, जुनून और अज्ञान से बद्ध जाती है । इसमें भगवद्गीता के अध्याय 14 के श्लोक 5,6,7,8 के बारे में बताया गया है ।जब जीव प्रकृति के संपर्क में आता है, तो वह इन गुणों से बद्ध जाता है। अच्छाई - दूसरों की तुलना में अधिक शुद्ध होना, प्रकाशमान है, और यह व्यक्ति को सभी पाप कर्मों से मुक्त करता है। उस अवस्था में स्थित लोग ज्ञान का विकास करते हैं, लेकिन वे सुख की अवधारणा से बद्ध हो जाते हैं। रजोगुण की विधा - रजोगुण की विधा असीमित इच्छाओं और लालसाओं से पैदा होती है, और इसके कारण व्यक्ति भौतिक सकाम गतिविधियों से बंधा होता है। अज्ञान- अज्ञान का तरीका सभी जीवों के भ्रम का कारण बनता है। इस विधा का परिणाम पागलपन, आलस्य और निद्रा है, जो बद्धजीव को बाँधते हैं। आइए आत्मा के गहरे अर्थ को जानने के लिए ऑडियो सुने।
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