हरि हरि बोल🙏🙏इस AUDIO में नीलम जी ने श्रीमद् भगवद गीता के अध्याय 5 भक्तियुक्त कर्म का सार विस्तार से समझाया🌷1)भक्तियुक्त कर्म निष्काम कर्म से श्रेष्ठ हैं तो जब भक्त भगवान की शरण में जाकर जनकल्याण के लिए कर्म करता है, बह भक्तियुक्त कर्म कहलाते हैं🌷2)जो किसी से घृणा और द्वेष नहीं करता और समभाव रहकर कर्म करता है,बही असली संन्यासी है🌷3)तो जैसे कमल का फुल गंदे पानी में रहकर भी कीचड़ से दुर रहता है,ऐसे ही हमें संसार में रहते हुए प्रभु से जुड़कर रहना है🌷4)जो व्यक्ति मृत्यु से पहिले अपने अंदर के विकारों पर विजय पा लेता है,बही सच्चा योगी है और बही सुखी रह सकता है,हम प्रभु को भूलकर कभी भी सुखी नही हो सकते,तो नित्य निरंतर शरीर से कम करते हुए अंदर से हरिनाम करते रहो _हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏
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