आज का सत्संग बहुत बहुत आनंदित नीलम जी के श्री मुख से एकादशी की कथा सुनी फिर संगीता जी ने हमे भगवद गीता का अध्याय ग्यारह विराट रूप का सार बताया फ्रेंड्स जब अध्याय एक शुरू हुआ था तो अर्जुन कन्फ्यूज थे दूसरे अध्याय के 2.7 श्लोक में अर्जुन ने प्रभु की शरण ग्रहण की जिसे बोलते भक्ति के स्कूल में एडमिशन लेना फिर प्रभु अर्जुन को आत्म परमात्मा के बारे बताया कर्मो के बारे बताते दिव्य ज्ञान देते कृष्ण भावना भावित कर्म करने का ज्ञान देते फिर ध्यान योग परम ज्ञान भक्ति योग अपने ऐश्वर्य बताते अब यहां प्रभु अर्जुन को अपना स्वरूप अपना विराट रूप को दिखा रहे क्युकी अब अर्जुन को आनंद आ रहा चाहते तो प्रभु दूसरे अध्याय में ऐसे विराट रूप के दर्शन करा सकते थे लेकिन तब अर्जुन में पात्रता नही थी तो फ्रेंड्स यहां खुद को रिलेट करना कैसे हम अभी कहा तक paunche फ्रेंड्स ऐसी योग्यता तभी आयेगी जब हम अनन्य भाव से प्रभु से प्रेम करेंगे उनको जानने को यिज्ञासा करेंगे फिर प्रभु हमे ऐसी ऐसी अनुभितिया कराएंगे की जो आनंद से भरपूर होगी।
सदेव जपे और दुसरो को जपने के लिए प्रेरित करें
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे
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