हरि हरि बोल🙏🙏इस ऑडियो में हमने नीलम जी के माध्यम से अध्याय 13 के श्लोकों को सार रूप में समझा_🌺प्रकृति में तीन गुणों में फसे होने के कारण हम कठपुतली की तरह नाच रहे हैं और इच्छाओं के पीछे भाग रहे हैं,तो जो यह जनता है की मैं आत्मा हूं ,मेरा परम पिता परमात्मा से रिश्ता है, बह जन्म मृत्यु के चक्कर में नहीं पढ़ता और अपनी ड्यूटी करते हुए अंदर से प्रभु से जुड़े रहता है🌺परमात्मा को पाने के लिए हर कोई अलग २ विधि से जुड़ा हुआ है,परंतु जिनको आध्यात्मिक का बिल्कुल ज्ञान नही है,उसके अंदर अगर श्रवण करने की क्वालिटी है तो ऐसा मनुष्य सुनते रहने से भव सागर पार कर जाता है🌺तो जो यह जनता है कि शरीर द्वारा काम हो रहे हैं आत्मा कुछ नही करती, बह मनुष्य चलते फिरते काम करते हुए अंदर से हरिनाम करता रहता है, आत्मा अजर,अमर,अविनाशी है,इसका कभी नाश नहीं होता,जैसे आकाश में धुल,मिट्टी,चांद,तारे होते हुए, बह उसके लिप्त नहीं होता ऐसे ही आत्मा शरीर में लिप्त नहीं होती🌺तो हमें नित्य निरंतर सत्संग,सेवा,साधना के मार्ग पर चलते रहना है और श्रवण करते रहना है_हरे कृष्णा हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे, हरे राम हरे राम, राम राम हरे हरे 🙏🙏 श्रीमद् भगवद गीता की जय🙏🙏
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