इस AUDIO में हमने अध्याय एक शोकग्रस्त अर्जुन के श्लोक 26 से लेकर 32 तक जाने। पहले हमने श्लोक 26 को समझा जिसमें निखिल जी ने बताया कि अर्जुन सेनाओं में खड़े अपने मित्रों को ,आचार्य को ,भाइयों को देखकर चिंतित हो गए । श्लोक 27 में बताया कि उन सबको देखकर अर्जुन को दया आ गई और वह शौक में आ गया। वह इसलिए क्योंकि अर्जुन का हृदय करुणा से भरा है । श्लोक 28 में बताया कि यह सब मेरे अपने हैं इन सबको देखकर अर्जुन को डर लग रहा था । श्लोक 29 में अर्जुन जी कहते हैं कि उनके शरीर में कंपन हो रहा है और त्वचा में जलन हो रही है । श्लोक 30 में बताया कि अर्जुन भ्रमित हो रहा है और वह सोचते हैं कि वह असमर्थ हैं ,ऐसी स्थिति हमारे जीवन में भी आती है परंतु उसे समय हमें प्रभु की शरण में जाना है। श्लोक 31 में अर्जुन जी कहते हैं कि स्वजनों का वध करके उन्हें कोई कल्याण नहीं दिखता और शोक 32 में अर्जुन भगवान को अपनी मनोस्थिति बताते हुए कहते हैं कि ना उन्हें राज्य चाहिए ना विजय और वे कहते हैं कि जीने से क्या लाभ? अज्ञानता के कारण कई लोग ऐसा सोचकर आत्महत्या करते हैं ।हमें मन को नियंत्रित कर प्रभु की सेवा में लीन होना है। हरे कृष्णा हरे कृष्णा ,कृष्णा कृष्णा हरे हरे हरे राम हरे राम, राम हरे हरे।
To watch this Episode on Youtube click on the link below :
https://www.youtube.com/live/6XgSNbhe7Zs?si=HW5Z9r1f6GVEbZzH
To watch GolokExpress videos click on the link below :
To get in touch with GolokExpress on telegram click the link below :
To get in touch with GolokExpress on facebook click the link below :
To get in touch -Whatsapp/Telegram- 7018026821 or info@golokexpress.org