इस ऑडियो में निखिल जी और नितिन जी ने अध्यात्म से जुड़े एक और मिथक को दूर किया। “मेरा नाम जाप में मन नहीं लगता इसलिए इन सबका क्या फ़ायदा”। निखिल जी और नितिन जी ने बहुत ही प्यारे तरीक़े से बहुत ही सुंदर उद्धारण देकर समझाया की कैसे कोई नव साधक अगर बिना मन के भी नाम जप करे तो भगवान को अपनी और आकर्षिक कर लेता है और किस तरह से धीरे धीरे निरंतर अभ्यास और भगवान की कृपा शक्ति से उसका मन भी नाम जप में लग जाता है। बहुत ही सुंदर उद्धारण भी सत्संग में लिए गए की कैसे एक बच्चे का मन भी स्कूल जाने को नहीं करता, ग्रहणी का घर के काम करने में मन नहीं करता या एक व्यक्ति का काम पे जाने का मन नहीं करता किंतु इसका ये मतलब नहीं की वो बच्चा स्कूल जाना छोड़ देता है, ग्रहणी घर का काम करना बंद कर देती है या फिर वो व्यक्ति काम पे नहीं जाता ये सब भी मन मारकर अपने काम निरंतर करते रहते है तो भक्ति के मार्ग पर ही क्यों इंसान अपने अभ्यास छोड़ना चाहता है, सर्वश्रेष्ठ ये है कि हमें निरंतर भगवान का नाम जपना चाहिए चाहे हमारा मन लगे या नहीं इससे धीरे धीरे हमारे अंदर दिव्य गुण बढ़ते है और आसुरी गुण कम होते है और समय के साथ भगवान की कृपा शक्ति से हमारा मन भी लगने लग जाता है । आइए इस ऑडियो को सुने और अपने अंदर के इस मिथक को दूर करने का प्रयास करे।
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