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Description

जानते हो? हर दफ़ा तुम्हें पा लेने के मेरे ख़्वाब, बस तुम्हें खो देने के डर से ही टूटे हैं! तो अब पूरी शिद्दत से चाहती हूं मैं, बरक़रार रखना अपने दिल में तुम्हारी चाहत को ,तुम्हें पाने की कोशिश के बग़ैर! जैसे अक्सर बियाबान जंगलों में ही खिला करती हैं, महकते फूलों की हसीन वादियां, ये जानते हुए भी कि उन्हें देखने कोई नहीं आएगा! कोई आस की बाती जलती रहती है फ़क़त तेल की आख़री बून्द की ख़ातिर,दिये को ख़बर हुए बग़ैर ही! क्योंकि वास्ता उसका रोशनी से हुआ करता है!