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Description

कुंवर नारायण की कविता ध्यान खींचती है कि सत्ता अपने मीडिया के संसाधनों का प्रयोग करके सच को छुपाता है. किस तरह बड़े बड़े आख्यानों के नीचे छोटे छोटे सच ओझल कर दिए जाते हैं।