Listen

Description

चीनी और यूनानी कलाकार - रूमी

एक सुल्तान के दरबार में चीन और यूनान, दोनों देशों के कलाकार थे। दोनों वर्ग अपने को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चित्रकार मानते थे। इस मुद्दे पर इन दोनों तबक़ो में हमेशा बहस होती रहती थी। इस झगड़े के निपटारे के लिए सुल्तान ने एक तजवीज की।

सुल्तान ने दोनों वर्गों को एक-एक मकान आबंटित कर दिया। दोनों मकान आमने-सामने थे। उन्हें इन मकानों को अपनी चित्रकारी द्वारा सजाना था। उनकी कलाकारी का निरीक्षण कर सुल्तान यह निर्णय करने वाला था कि किस वर्ग को श्रेष्ठतर माना जाएगा।

दोनों वर्ग इस काम में जी-जान से जुट गए। चीनी चित्रकारों ने तरह तरह के रंग इकट्ठे किए और अपने मकान की दीवारों को रंग-बिरंगे अद्भुत चित्रों से ढंक दिया। उनके चित्रों की सुंदरता देखते ही बनती थी।

यूनानियों ने न तो कोई रंग जुटाया और न ही उन्होंने अपने मकान की दीवारों पर कोई तस्वीर बनाई। उन्होंने मकान के दीवारों पर जमी काई को साफ कर उन्हें ऐसा चमकाया कि वे शीशे की तरह चमकने लगीं।

सुल्तान अपने दरबारियों के साथ मुआयने के लिए पहुंचा। चीनियों की कलाकारी देख सभी दरबारी तारीफ़ करने लगे लेकिन सुल्तान ने यूनानियों को ही इनाम का हक़दार ठहराया। उनके मकान की दीवार पर चीनी चित्रकारों की कलाकृतियां प्रतिबिंबित हो रही थीं। निर्मल-चमकीली दीवारें अब और भी अधिक निखरी लग रही थीं।

यूनानियों का मकान चित्त की शुद्धता और निर्मलता का प्रतीक है जबकि चीनियों का मकान अर्जित ज्ञान एवं कौशल का रूमी के अनुसार ज्ञान की तुलना में चित्त की निर्मलता श्रेष्ठतर है क्योंकि एक निर्मल चित्त ही ईश्वरीय सौंदर्य को अपने में समाहित कर सकता है।