1967 में रूस में फैज़ अहमद फैज़ के साथ मुलाकात पर आधारित। भारत-पाक दोस्ती व भारत-पाक जनता के बीच मौजूद प्रेम व भाईचारे को उभारता हुआ। सत्ताधीश अपना राजनीतिक उल्लू सीधा करने के लिए दोनों देशों के बीच नफरत फैलाकर युद्धों में झोंकते रहे हैं, लेकिन जनता ऐसा नहीं चाहती।
लेखक को उम्मीद है कि नफरत की यह कृत्रिम दीवार एक दिन ढह जाएगी.