मेरे प्यारे श्रोतागण
मैं आपका प्यारा दोस्त
कुमार अभिषेक (वौइस् ओवर आर्टिस्ट)
आपलोग मुझे सुनते हैं इसके लिए धन्यवाद् , आज से शुरू होता एपिसोड का विषय हैं " जीवन एक खेल " दोस्तों क्षमा करे ये मेरी मातृ भाषा गुजराती में हैं , मैं कोशिश करूँगा इसे हिंदी में रूपांतरित करने की फिलहाल , ये गुजराती में हैं , ये भाषा इतनी कठिन नहीं हैं , इसके कुछ शब्द हिंदी जैसे ही है।
जीवन एक खेल के साहित्यकार - कुंदनिका कपाडिया हैं
इस में चेतन मन और अवचेतन मन की बात को कही गई हैं। हम क्यों विफल होते है ? हम कैसे सफल होते हैं। ये रहस्य को उजागर करनेवाली बात यहाँ प्रस्तुत की गई हैं। मैं इसे जिवंत बनाने के लिए अपनी आवाज़ से कोशिश करूँगा। धन्यवाद्