Osho Ne Kaha Tha . ओशो ने कहा था। आदमी की चिंता यही है कि जहा कुछ भी नहीं ठहरता, वहां वह ठहराने का आदमी आग्रह करता है। अगर मुझे यश है, तो मैं सोचता हूं मेरा यश ठहर जाए। अगर मेरे पास धन है, तो मैं सोचता हूं मेरे पास धन ठहर जाए। अगर मेरे पास जो भी है, मैं चाहता हूं वह ठहर जाए। अगर मुझे कोई प्रेम करता है, तो मैं चाहता हूं यह प्रेम चिर हो जाए। सभी प्रेमी की यही आकांक्षा है कि प्रेम शाश्वत हो जाए। इसलिए सभी प्रेमी दुख में पड़ते हैं। क्योंकि इस जगत में कुछ भी शाश्वत नहीं हो सकता, प्रेम भी नहीं। यहां सभी बदल जाता है। जगत का स्वभाव बदलाहट है। इसलिए जिसने भी चाहा कि कोई चीज ठहर जाए वह दुख में पड़ेगा।