"कनेर के फूल " राजेश ओझा जी की कलम से निकली वो कहानी है जो आपको एक पल जेठ की दुपहरी में शीतल पुरवाई का अह्सास कराएगी और दूसरे ही पल पूस की हाड़ कंपा देने वाली शीतलहर में गुनगुनी उष्मा से भर देगी, अगर ये कहानी आज के तनावपूर्ण सामाजिक ताने बाने से निकाल कर आपके किशोर से युवा हो रहे समय की मीठी यादों मे पहुंचा दें तो धन्यवाद दीजिए ओझा जी को! कहानी सुनने के बाद आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में..........