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सूर्योदय से जगमगा रहा, माँ भारती का कपाल| फिर सारा देश शीश झुका रहा, लेके भक्तिभाव के कण्ठमाल।। { सूरज कि भव्यता और दिव्यता का गुणगान } Listen Now!! Latest podcast Hindi, Hindi poems poetry.