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यथार्थवादी परंपरा की नींव रखने वाले मुंशी प्रेमचंद हिन्दी और उर्दू के महान लेखक हैं, उनका लिखा उपन्यास 'गोदान' ख़ासा लोकप्रिय हुआ था। पेश हैं मुंशी जी के लिखे ये अनमोल विचार

दौलत से आदमी को जो सम्मान मिलता है, वह उसका नहीं उसकी दौलत का सम्मान है

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प्रेमचंद के विचार

यश त्याग से मिलता है, धोखाधड़ी से नहीं

प्रेमचंद के विचार

मासिक वेतन पूरनमासी का चाँद है जो एक दिन दिखाई देता है और घटते घटते लुप्त हो जाता है।

प्रेमचंद के विचार

विजयी व्यक्ति स्वभाव से, बहिर्मुखी होता है। पराजय व्यक्ति को अन्तर्मुखी बनाती है।

प्रेमचंद के विचार

मैं एक मज़दूर हूँ। जिस दिन कुछ लिख न लूँ, उस दिन मुझे रोटी खाने का कोई हक नहीं

प्रेमचंद के विचार

खाने और सोने का नाम जीवन नहीं है, जीवन नाम है- आगे बढ़ते रहने की लगन

प्रेमचंद के विचार

सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं 

प्रेमचंद के विचार

चिंता एक काली दीवार की भांति चारों ओर से घेर लेती है, जिसमें से निकलने की फिर कोई गली नहीं सूझती।

प्रेमचंद के विचार

सफलता में दोषों को मिटाने की विलक्षण शक्ति है
 

प्रेमचंद के विचार

चापलूसी का ज़हरीला प्याला आपको तब तक नुकसान नहीं पहुँचा सकता, जब तक कि आपके कान उसे अमृत समझ कर पी न जाएं