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Description

कई अंग्रेज़ी फिल्मों के किरदारों की हिंदी आवाज़ के तौर पर आप इन्हें सुनते रहे हैं लेकिन एक वक़्त पर क्राइम रिपोर्टर रहे त्रिलोक जब किताबों पर बातें करने लगते हैं तब ऐसा लगता है जैसे वो किसी बड़ी तफ़्तीश में जुटे हैं और किताबें वो कड़ियाँ हैं जो उन्हें उस रहस्य को सुलझाने में मदद कर रही हैं. मंटो के "दस्तावेज़", श्रीलाल शुक्ल के कालजयी उपन्यास "राग दरबारी", मनोहर श्याम जोशी के "कसप" से लेकर बाबूराव बगुल की मराठी किताब का हिंदी अनुवाद "जब मैंने जात छुपाई" और बालेंदु द्विवेदी की "मदारीपुर जंक्शन" से अपनी आवाज़ में आपको बाँधने वाले त्रिलोक जब बात करते हैं अपनी पसंद की किताबों पर तो आप चाहेंगे कि एक कॉपी पेन लेकर बैठ जाएँ और सारी किताबों के नाम लिख लें. वैसे "राग दरबारी" के लिए हाल ही में हुए इंडिया वॉइस फ़ेस्ट में इन्हें बेस्ट वॉइसओवर आर्टिस्ट का अवार्ड भी मिल चुका है.

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