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क्या आप कतार में इंतजार करते हैं, चाहे वो दूध या राशन की कतार हो?  या सिनेमा हॉल में टिकट खरीदने की हो और फिर भी आप कभी अपना धैर्य नहीं खोते?  क्या आप रनिंग लोकल पर चढ़ने की कोशिश करते हैं, अपने बॉस की तुच्छ आलोचनाये बर्दाश्त करते हैं, फिर भी आप हंसते हैं और दूसरों को हंसाते हैं ? तो आप एक सच्चे कर्मचारी हैं। जानिये मध्यम वर्ग के वेतनभोगी मुंबईकरों को वसंत पुरुषोत्तम काले द्वारा लिखित "कर्मचारी" के रिव्यु में सुभाषिनी के साथ।

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Music Attribution:  Pixaby, Melodyloops, SoundJay and Mixkit.