ॐ तत् सत्, भगवद् गीता के श्लोक 17.23 में पाए गए संस्कृत में तीन मंत्रों का समूह है। इसका अर्थ है "ओम ब्रह्म का मंत्र है, तत् पारब्रह्म का गुप्त मंत्र है और सत् विष्णु का गुप्त मंत्र है।" ॐ तत् सत् "शाश्वत ध्वनि-प्रणव है।" ॐ तत् सत् अव्यक्त और निरपेक्ष वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता है।
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