Live blissfully at the centre not the periphery
जीवन की यात्रा हमेशा सुगम नहीं होती। यहाँ कदम कदम पर मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। कोई इन कठिनाइयों के सामने बेबस हो जाता है तो कोई इन सब का सामना करते हुए ही आनंदमय जीवन जीता है। जो लोग केंद्र से जुड़े लोग हैं वो आनंदपूर्वक अपनी मस्ती में जीते हैं बाकी परिधि पर ही रह जाते हैं। तो क्या तरीका है अपने केंद्र से जुड़ कर आनंदपूर्वक जीने का और ऐसे लोगों की पहचान क्या है?