सत्य की खोज विस्तृत है। धार्मिकों के सत्य की धारणा और दार्शनिकों के सत्य की धारणा अलग अलग है। वैज्ञानिकों ने सत्य की अलग विवेचना की है। हर किसी की खोज अनूठी है और कभी कभी तो सत्य की खोज बेहद निजी होती है जिसे मनुष्य खुद के भीतर ढूंढता है पर परम सत्य को शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में विराट सत्य की बात की है। क्या है वो परम सत्य है और कैसे ये सदा प्रासंगिक है जो हर मनुष्य के भीतर की जीवंतता को दर्शाता है।