दर - बदर क्यों भटकता है इंसान ?
जो व्यक्ति परमात्मा की ओर सतत चलता रहता है वो भक्त बन जाता है। परमात्मा जो कि एक अदृश्य सत्ता है उनका दर्शन हर कोई नहीं कर सकता लेकिन एक भक्त के पास ऐसी दिव्य अंतर्दृष्टि आ जाती है जिससे प्रकृति के हर तत्व में सिर्फ परमात्मा के ही दर्शन होते हैं; हर जगह उस परम सत्ता का अनुभव होने लगता है। तो कैसे मिलती है ऐसी दृष्टि जिससे भक्त को परमात्मा का कोमल अनुभव होता है?