आख़िर का दृश्य वाक़ई दिल छूने वाला है। एक तरह से वह पूरी फ़िल्म का सार है। इसमें जब तीनों दोस्त–कबीर, अर्जुन और इमरान–स्पेन में हो रही सांड़ों की दौड़ सुरक्षित बच निकलते हैं, तब ये कविता सुनाई देती है–दिलों में तुम अपनी बेताबियाँ लेके चल रहे हो तो ज़िंदा हो तुम.....!!!