भावार्थ....
इस भजन के माध्यम से राधा रानी की बिरहा वेदना को दर्शाया गया है! इस भजन में राधा -कृष्ण जी के मध्य जो प्रेमाभाव है उसको दर्शाया गया है! यह गोपी भाव है! जब हम सच्चे हृदय से प्रभु के श्री चरणों में आत्मसमर्पण कर देते हैं और प्रभु के दिखाए मार्ग पर जब हम चलते हैं तो प्रभु हर पल हर क्षण हमारे अंग संग रहते हैं जिससे प्रभु के प्रति हमारा भी प्रेमा भाव उत्पन्न होता है! अप्रत्यक्ष रूप में जब हम प्रभु को अपने अंग संग महसूस करते हैं तो प्रभु को प्रत्यक्ष रूप में देखने की हमारे अंदर तीव्र इच्छा उत्पन्न होती है बहुत प्रयास करने पर पर भी जब हमारी वह इच्छा पूरी नहीं होती है तुम्हारे अंदर बिरहा भाव उत्पन्न होता है जिसका वर्णन इस भजन में किया गया है!
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