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भावार्थ....

     इस सुंदर कविता की रचना सुषमा जी ने की है! इस कविता के माध्यम से सुमन जी ने अहम,क्रोध,नफरत,द्वेष जैसी  हमारे अंदर जो बुराइयां है वह किस तरह से हमारे जीवन को बर्बाद करती है उसका वर्णन किया है! बिना प्रेम के हम सबका जीवन व्यर्थ है! जब हम भगवान के साथ शुद्ध प्रेम करना सीख जाते हैं तो हमारे अंदर की बुराइयां अपने आप धीरे धीरे कम होने लगती हैं! अज्ञानता के कारण हम हमेशा मैं मैं करते रहते हैं लेकिन जब हम प्रभु श्री हरि की शरणागति को ग्रहण करते हैं तब हमें यह समझ आ जाता है कि प्रभु ही सर्व सर्वा है प्रभु हमारे स्वामी है और हम प्रभु के दास हैं और यही भावना फिर हमें विनम्र बना देती है!

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