भावार्थ.....
श्री राम स्तुति महाकवि तुलसीदास जी की रचना है! स्तुति में महाकवि जी अपने मन से कह रहे हैं कि हे मेरे मन कृपालु श्री राम जी का भजन कर क्योंकि श्रीराम संसार के जन्म मरण रूपी दारुण भय अर्थात भयंकर कष्ट को दूर करने वाले हैं! भगवान के नाम जाप से ही हम जन्म मरण रूपी भवसागर को पार कर सकते हैं! स्तुति में भगवान के सौंदर्य भी बहुत सुंदर वर्णन किया गया है! उनके नेत्र नव विकसित कमल के समान है,उनका मुख, उनके हाथ व चरण भी लाल कमल के समान सुंदर है! इस दिव्य स्तुति में भगवान की वीरता का भी वर्णन किया गया है!
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