भावार्थ....
इस सुंदर कविता की रचना मोना जी ने की है! मोना जी इस कविता के माध्यम से प्रभु के प्रति अपना प्रेमाभाव व्यक्त कर रही है! श्रीमद भगवत गीता में भगवान श्री कृष्णा ने हमें यह संदेश दिया है कि हमें कर्म करने का तो अधिकार है लेकिन हमें अपने फल की इच्छा का त्याग करना चाहिए यानी अपने हर कर्म को प्रभु को समर्पित करते हुए प्रभु की खुशी के लिए अपने सारे कर्म करने है!अगर हम ऐसा कर पाने में समर्थ होते हैं तो शरीर से तो हम काम कर रहे होते हैं लेकिन हमारा मन हमेशा प्रभु श्रीहरी के चरणों में लगा रहता है जिससे हमारे मन में शुद्ध प्रेमा भक्ति का संचार होता है लेकिन यह तभी संभव हो पाएगा जब हम निरंतर सत्संग,साधना,सेवा और सदाचार पर काम करेंगे!
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