भावार्थ...
इस सुन्दर कविता की रचना सुमन जी ने की हैं! जब तक मनुष्य दुनियादारी में खोया रहता है तब तक उसे अपने जीवन का वास्तविक लक्ष्य कभी भी पता नहीं चलता है क्योंकि ज्यादातर लोग अपनी इंद्रियों को संतुष्ट करने में ही लगे रहते है और इसी को अपने जीवन का वास्तविक लक्ष्य समझते हैं लेकिन वास्तविकता में मनुष्य जीवन भगवान का सबसे बहुमूल्य उपहार है और हमें हमेशा प्रभु का हर हाल में शुक्रिया अदा करते हुए ही अपने जीवन को जीना चाहिए!
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