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भावार्थ...

 रासलीला करने के लिए भगवान जब गोपियों को बुलाते हैं तो गोपियों में अभिमान  आ जाता है कि हम सबसे श्रेष्ठ हैं! गोपियों के अंदर अहंकार की भावना  देखकर भगवान गोपियों के मध्य से अदृश्य हो जाते हैं!उस समय गोपियों की दशा बहुत ही दयनीय हो जाती है! गोपियों के मन में भगवान से मिलने की इतनी ज्यादा तड़प जागती है कि भगवान का विरह एक पल के लिए भी उनसे सहन नहीं होता है और तब सब गोपियां मिलकर बड़ी करुण पुकार  के साथ भगवान को बुलाती है! इस लीला के माध्यम से भगवान हमें यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि हम भी भगवान को पाना चाहते हैं तो हमें अपना अभिमान छोड़ना पड़ेगा! जब तक हमारे अंदर थोड़ा भी  अभिमान रह जाता है तब तक हम भगवान की प्राप्ति नहीं कर सकते हैं ! गोपिया शुद्ध साधना परिकर है और उनके अंदर के भाव भी बहुत ज्यादा शुद्ध है! गोपी कोई की स्त्री का नाम नहीं बल्कि गोपी एक भाव है! यदि हम भी चाहते हैं कि हमारे अंदर भी गोपियों की तरह शुद्ध प्रेमा भक्ति का संचार हो तो हमें नित्य इस गोपी गीत का पाठ करना चाहिए! भगवान ने स्वयं कहा है कि जो नित्य इस गोपी गीत का पाठ करेगा उसे निश्चय ही मेरी शुद्ध भक्ति की प्राप्ति होगी!

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