पुराने जमाने की बात है, एक गाँव में दो भाई रहते थे। समय के साथ बड़ा भाई तो धनी हो गया था किन्तु छोटा भाई कंगाल। एक दिन ऐसा भी आया, जिस दिन कोई त्यौहार था और उस दिन छोटे भाई के घर खाने को एक दाना भी न था। पत्नी के कहने पर वह बड़े भाई के घर एक सेर चावल उधार मांगने गया परंतु बड़े भाई ने उसे टका सा जवाब देकर लौटा दिया।
जब वह निराश होकर लौट रहा था, तब रास्ते में उसे लकड़ी का भारी गट्ठर लिए हुये एक बूढ़ा मिला। बूढ़े ने उससे पूछा - "तुम कौन हो भाई ? तुम्हारा चेहरा देखकर लगता है तुम किसी मुसीबत में पड़े हुये हो ।"
दुख में कोई अपनापन दिखाने वाला मिल जाय तो सब्र का बांध टूट जाता है। बूढ़े की मृदु वाणी सुनकर छोटे भाई की आँखों से भी आँसू रुक न सके। उसने रोते रोते अपनी सारी व्यथा बूढ़े को सुना दी। बूढ़े ने उसे धीरज देते हुये कहा - "तुम मेरा यह लकड़ी का गट्ठर मेरे घर तक पहुंचा दो तो मैं तुम्हें एक ऐसी अद्भुत चीज़ दूँगा जिसकी मदद से तुम मालामाल हो जाओगे।"
छोटा भाई स्वभाव से दयालु था और फिर बूढ़े ने उससे अपनेपन से बात की थी, उसने लकड़ी का गट्ठा अपने सिर पर उठाया और बूढ़े के पीछे पीछे चल दिया।
घर पहुँचकर बूढ़े ने उसे एक मालपुआ दिया और कहा - "इसको लेकर तुम मंदिर के पीछे जो जंगल है, वहाँ जाओ। वहाँ पर एक बिल है जिसमें बहुत से बौने रहते हैं। उन बौनों को ये मालपुए बहुत पसंद हैं। वे किसी भी कीमत पर इसे हासिल करना चाहेंगे। उस समय इसके बदले में तुम धन-दौलत न मांगकर पत्थर की एक चक्की मांग लेना, जो उन बौनों की सबसे खास चीज़ है। बाद में तुम्हें उस चक्की की करामातें मालूम हो जाएंगी।"
बूढ़े के हाथ से मालपुआ लेकर छोटे भाई ने उससे विदा ली और मंदिर के पीछे वाले जंगल में पहुंचा। वहाँ जाकर उसने चारों ओर नजर दौड़ाई तो एक जगह उसे एक बिल दिखा जिसमें से अंगूठे के आकार के बहुत सारे बौने भीतर बाहर आ जा रहे थे।
छोटा भाई उन बौनों के पास पहुंचा तो वे डरकर भागने लगे किन्तु तभी एक बौने की नजर उसके हाथ में रखे मालपुए पर पड़ गई। मालपुआ देखते ही वह बौना चिल्लाकर अपने साथियों से कहने लगा - "देखो, उसके हाथ में मालपुआ है !"
फिर वह छोटे भाई से विनती करते हुये बोला, "कृपा करके वह मालपुआ हमें दे दो। इसके बदले में हम तुम्हें बहुत से हीरे जवाहरात देंगे।"
लेकिन छोटे भाई को बूढ़े की बात याद थी। उसने मालपुए के बदले में पत्थर की चक्की मांगी। बौनों ने पहले तो चक्की देने में आनाकानी की और छोटे भाई से और कुछ भी मांगने को कहने लगे, किन्तु जब वह न माना तो चक्की देने को राजी हो गए।