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गांधी जयंती पर विशेष

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हेलो दोस्तों, GreyMatters पॉडकास्ट में आपका स्वागत है।

आज 2 अक्टूबर है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती।

यह दिन पूरी दुनिया में International Day of Non-Violence यानि अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। 2 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' के रूप में मनाने के भारत के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र महासभा में 15 जून 2007 को मतदान हुआ था और महासभा ने इसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया था। प्रस्ताव में गांधी जी के अहिंसा के सिद्धांत की सार्वभौमिक प्रासंगिकता को स्वीकार करते हुए "शांति, सहिष्णुता, ज्ञान एवं अहिंसा पर आधारित संस्कृति" के निर्माण का आह्वान किया गया। साथ ही कहा गया कि 'अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस' "शिक्षा एवं जन जागरूकता के माध्यम से अहिंसा के संदेश को प्रसारित करने" का सही अवसर होगा।

वर्तमान गुजरात राज्य के पोरबंदर जिले में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 2 अक्टूबर 1869 को जन्मे मोहनदास करमचंद गाँधी ने स्वतंत्रता और शांति की प्राप्ति के लिए भारत और दक्षिण अफ्रीका में हुए कई ऐतिहासिक आंदोलनों को नई दिशा प्रदान की। गांधी जी को यकीन था कि किसी को चोट पहुंचाए बिना, किसी तरह की हिंसा का सहारा लिये बिना भी, स्वतंत्रता और शांति के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय स्वाधीनता संग्राम के दौरान गांधी जी के नेतृत्व में हुए चंपारण सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह, भारत छोड़ो जैसे अनेक अहिंसक आंदोलनों ने अंग्रेजों को आखिर भारत से जाने पर मजबूर कर ही दिया। गांधी जी के अहिंसक आंदोलनों की सफलता से प्रेरित होकर दुनिया के कई देशों में लोगों ने अपने अधिकारों की प्राप्ति के लिए अहिंसक आंदोलन किये।

अहिंसा सिर्फ एक विचार नहीं, जीने का मार्ग है। किसी भी देश के विकास के लिए शांति और सद्भाव का माहौल अनिवार्य शर्त है। लेकिन, आज दुनिया के कई देशों में आतंकवादी, उग्रवादी एवं अलगाववादी शक्तियां मजबूती से अपना फन फैला रही हैं, नफरत के बीज बोकर देशों और समुदायों को विभाजित करने के प्रयास कर रही हैं। ऐसे वक्त में गांधी जी के सत्य एवं अहिंसा के संदेशों की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। गांधी दर्शन में संपूर्ण मानवता को एकजुट करने की शक्ति है।

गांधी जी कहते थे, "यह पृथ्वी प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन प्रदान करती है, लेकिन इससे मनुष्य के लालच की पूर्ति नहीं की जा सकती।"

आज आधुनिकीकरण की होड़ में पूरी दुनिया में विज्ञान की चकाचौंध है, भौतिकता का बोलबाला है, अमीर बनने की अनैतिक प्रतिस्पर्धा है, और प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन हो रहा है। मानवतावादियों और नीति-निर्माताओं के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है। गांधी जी की चिंतन धारा और जीवन आदर्श हमें इस चिंता से भी पार पाने की राह दिखाते हैं। गांधी जी सिर्फ एक उपदेशक या दार्शनिक नहीं थे, उनका संपूर्ण जीवन उनके विचारों एवं आदर्शों का आईना था। आइए, गांधी मार्ग को जानें और उस पर चलने का संकल्प लें।

आज गांधी जयंती के अवसर पर, राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि स्वरूप, यह थी GreyMatters Communications की एक छोटी सी प्रस्तुति। अगले podcast में फिर मुलाकात होगी, तब तक के लिए आप सबको नमस्कार।