नमस्कार, आप सभी का ग्रेमेटर्स पोडकॉस्ट में स्वागत है।
आज सरस्वती पूजा है और आप सभी को शुभकामनाएं। वैसे आपको अपना बचपन याद है जब सरस्वती पूजा का बेसब्री से इंतजार रहता था। इसकी तैयारी में हम चार पांच दिन पहले से लग जाते थे। शुरुआत होती थी मोहल्ले में घर घर जा कर चंदा इक्कट्ठा करने से। सरस्वती पूजा की तैयारी में सारी सारी रात जागना, नई नई साड़ियों से मंडप को सजना, आधी रात तक मंडप में मूर्ति लाना, फिर उसे सजाना, और पूजा के दिन सुबह से ही प्रसाद काटने में लग जाना, कितना कुछ होता था सरस्वती पूजा में! सभी बच्चे अपने अपने तरीके से लगे रहते थे। और इस दिन हमें पढ़ाई से भी छुट्टी मिल जाती थी। जो सबसे टफ सब्जेक्ट होता था, हम वही किताबें मां शारदे के आगे रखते थे ताकि हम अच्छे नंबर आए।
सरस्वती पूजा बचपन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसके साथ ही एक nostalgia का भी अहसास है। यह त्योहार न केवल शिक्षा की महत्ता को उजागर करती है, बल्कि बचपन के खुशी और उत्साह को भी साकार करती है। सरस्वती पूजा के दिन बच्चों को विद्या की देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे उनकी पढ़ाई और सीखने में उत्साह बढ़ता है। इस दिन के उत्सव में विद्यालयों में विभिन्न कार्यक्रम और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं, जो बच्चों को विद्या के महत्व को समझने में मदद करती हैं और उन्हें बचपन की यादें संजोने का मौका देती हैं।
आज भी कमोबेश स्थिति यही है। बेर, गाजर और शकरकंद के बिना पूजा आज भी नहीं होती, आज भी बच्चे कॉपी-कलम चढाते हैं मां सरस्वती की प्रतिमा पर। ये अलग बात है कि किताब कॉपी की संख्या कम हो गई है। अब युवाओं के बीच में मोबाइल और लैप टाप का क्रेज है। हाथ से पेन ओर पेपर छूटता है, दुनिया पेपरलेस कार्य की ओर बढ़ चली है।
वैसै तकनीक क्रांति के बावजूद सरस्वती पूजा युवाओं के बीच आज भी काफी लोकप्रिय है। चौक चौराहों और घरों में मां सरस्वती की मूर्ति की स्थापना करके उनकी पूजा अर्चना करने में की परंपरा आज भी चल रही है। सुबह से ही शुद्ध जल से स्नान करने के बाद युवक-युवतियों की अलग अलग टोलियां मां सरस्वती के दर्शन के लिए पंडालों में जमा होने लगती है।
बसंत ऋतु की शुरुआत सरस्वती पूजा से ही होती है। शायद यही वजह है कि लोग इस दिन पीले रंग का वस्त्र धारण करके पूजा पाठ करने के लिए घर से निकलते हैं।
इस दिन का इंतजार हर उस व्यक्ति को रहता है जो मां सरस्वती का उपासक है, जो कला और संस्कृति की उन्नति के लिए निरंतर प्रयत्नरत है, जो पूरी तरह से ज्ञान और विज्ञान के प्रति समर्पित है।
मां सरस्वती को वेदों में कई नामों से पुकारा गया है।