1 जनवरी का दिन, जब दुनिया नए साल का स्वागत करती है, आदिवासी समाज इसे शोक दिवस के रूप में याद करता है। यह सिलसिला 1948 से शुरू हुआ, जब भारत आजादी के केवल पांच महीने पुराने सफर पर था। उसी समय, खरसावां ने स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक दर्दनाक घटना देखी, जिसे ‘खरसावां गोलीकांड’ कहा जाता है।