अतीव आनंद सहित आप सभी के सन्मुख प्रस्तुत करते है डॉ. जया सिंह जी की मधुरतम भावपूर्ण वाणी में श्री रामकिंकरीय चिंतन की वचनामृत श्रंखला के दो और अनमोल मोती, जिनके विषय है "वनगमन लीला और भगवत चरण की महिमा" तथा "भगवान श्री राम की नीति एवं प्रीति का समन्वय"
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