क्या पेड़-पौधे भी बातें करते हैं, क्या उनमें भी संवेदनाएं होती हैं? क्या पेड़-पौधे भी हम मनुष्यों की भांति दुःख और सुख की अनुभूत करते हैं? क्या वे भी हमसे अपनी बातें कहते और सुनते हैं?
प्रस्तुत है, इन्हीं सब प्रश्नों की पड़ताल करती डॉ0 गिरीश त्रिपाठी की एक खोजपरक, सारगर्भित एवम् उपयोगी वार्ता..!