आत्म-विश्वास घमण्ड की श्रेणी में नहीं आता। यह आत्म सम्मान या स्वाभिमान की रक्षा का भाव होता है, जिससे मनुष्य के गुणों और कार्यक्षमताओं का विकास होता है। इन्हीं के आधार पर महत्वाकांक्षाओं की सफलता के लिए द्वार भी खुलते है। आत्म विश्वास में वृद्धि के लिए हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं ?... ...इन्हीं सब विषयों के परिप्रेक्ष्य में सुनिए, डॉ0 गिरीश त्रिपाठी की एक बहुत ही उपयुक्त, सार्थक एवं प्रेरणाप्रद वार्ता...!