आयुष की इस जीवनकाल में स्वयं परिचय और ईश्वर खोज की कहानी की शुरुआत |
जॉब, बिज़नेस के बीच में स्वयं ईश्वर की खोज की नयी जिज्ञासा | उसी क्रम में १० दिन का विपस्सना ध्यान, गीता पाठ | फिर कॉलेज के दो सीनियर्स ले गए उसको धर्मशाला उसी के सवालों के जवाब से साक्षात्कार कराने | उसे उनसे दक्षिण अमेरिका का अध्यात्म से परिचय हुआ | चलते चलते एक अलौकिक घटना ऐसी हुई की वो उन गुरु भाइयों के साथ अपने को धरमसाला में अघंजर महादेव मंदिर के किनारे नदी के तट पे एक जादू की सी स्थिति में पाया और ऐसा बोध हुआ की वो इसी प्रकृति के साथ एक है | उसे जीवन में पहली बार आनंद का दर्शन हुआ | उसे लगा की शायद यही प्रेम है | उस दिन उसका जीवन बदल गया था |