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Description

आयुष बात कर रहे हैं की जो कुछ भी है (सब कुछ) एक ही वस्तु है | ये अलग अलग नहीं है | सब कुछ जुड़ा हुआ, एक ही वस्तु है | और ये वस्तु इकलौती है | कोई दूसरा नहीं | 

मै यही हूँ | आयुष, आप और जो कुछ भी है, वह इसी अद्वैत अविभाजित अस्तित्व की इकाइयां है | यदि अस्तित्व सागर है तो हम इसकी बूँदें है| गीता , योग वशिष्ठ , जीसस सब लोगों ने धर्मों ने एक ही वस्तु की बात की| इसी अस्तित्व को ही ईश्वर भी बोला गया |