Listen

Description

रियासतों ने लूटा

अब सियासतें लूट रही हैं

बिन माँगे मिल गईं

अब विरासतें लूट रही हैं

गूँजता है शंखनाद

तो बहुत इकट्ठे हो जाते हैं

मासूम की सिसकियाँ

अब किसी को सुनाई नहीं देती

सर पे कफ़न, आँख पर पट्टी

ये कौन लोग हैं?

जिनको सच्चाई दिखाई नहीं देती

मज़हबों को रंग में बाँटा

फिर मिठाइयों का बँटवारा हुआ

अब क्या बाक़ी रह गया?

क्या आसमान भी बाँटोगे आपस में?

मिट्टी और हवा भी बँटेंगीं?

सुनो,

उन्हें क्या मिलेगा जिनका कोई खुदा नहीं?

©आलोक