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Description

मुझ को तेरा शबाब ले बैठा

रंग, गोरा गुलाब ले बैठा

दिल का डर था कहीं न ले बैठे

ले ही बैठा जनाब ले बैठा

जब भी फ़ुर्सत मिली है फ़र्ज़ों से

तेरे रुख़ की किताब ले बैठा

कितनी बीती है कितनी बाक़ी है

मुझ को इस का हिसाब ले बैठा

मुझ को जब भी है तेरी याद आई

दिन-दहाड़े शराब ले बैठा

अच्छा होता सवाल ना करता

मुझ को तेरा जवाब ले बैठा

'शिव' को इक ग़म पे ही भरोसा था

ग़म से कोरा जवाब ले बैठा