नमस्कार! Random Readings With Kumar Vikram के हिंदी पाठों की शृंखला का आज शुभारंभ करते हुए मुझे बड़ी ख़ुशी हो रही है। मैं हूँ आपका होस्ट-कुमार विक्रम।
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आज इस एपिसोड में मैं पटना निवासी बाबू महेश नारायण (1858-1907) द्वारा रचित हिंदी खड़ी बोली की प्रथम लंबी कविता “स्वप्न” का पाठ प्रस्तुत कर रहा हूँ। इस कविता का पाठ साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तक “खड़ी बोली का पद्य (पहला और दूसरा भाग)-संकलियता मुज़फ़्फ़रपुर निवासी अयोध्या प्रसाद खत्री व संपादक रामनिरंजन परिमलेन्दु से किया जा रहा है।