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Description


श्री भगवद गीता के अध्याय 18 के श्लोक 18 में भगवान श्रीकृष्ण कर्म के प्रेरक तत्वों और उसकी प्रक्रिया को समझाते हैं। वे बताते हैं कि ज्ञान, ज्ञेय (जिसे जाना जाना है), और परिज्ञाता (जानने वाला) ये तीन कर्म की प्रेरणा के आधार हैं। इसके साथ ही, कर्म का संपूर्ण संघटन तीन घटकों पर आधारित है—करण (साधन), कर्म (कार्य), और कर्ता (कर्म करने वाला)। यह श्लोक कर्म के पीछे के कारणों और प्रक्रियाओं को जानने का मार्गदर्शन करता है।