असक्त बुद्धि से नैष्कर्म्य सिद्धि | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 श्लोक 49
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श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 के श्लोक 49 में भगवान श्रीकृष्ण बताते हैं कि जो व्यक्ति आसक्ति रहित होकर आत्म-नियंत्रण के साथ हर जगह शांत रहता है और इच्छाओं से मुक्त होता है, वह संन्यास के मार्ग से परम नैष्कर्म्य सिद्धि (कर्मों के फल से मुक्ति) प्राप्त करता है। यह आत्मिक शांति और मोक्ष प्राप्ति का उच्चतम स्तर है।
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