आत्मसंयम और शुद्ध बुद्धि | श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 18 श्लोक 51
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भगवान श्रीकृष्ण श्रीमद्भगवद्गीता के अध्याय 18 के श्लोक 51 में समझाते हैं कि शुद्ध बुद्धि और आत्मसंयम के साथ कैसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त की जा सकती है। इच्छाओं और द्वेष को त्यागकर, आत्मा को नियंत्रित कर और इंद्रियों से दूर रहते हुए मनुष्य परम ज्ञान की ओर बढ़ता है। यह श्लोक आध्यात्मिक साधना और आत्मानुशासन का महत्व दर्शाता है।
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